छत्रपति शिवाजी महाराज: जीवन परिचय और योगदान
परिचय
छत्रपति शिवाजी महाराज (1630-1680) भारतीय इतिहास के महान योद्धा, कुशल प्रशासक और हिंदवी स्वराज के संस्थापक थे। उन्होंने मुगलों, आदिलशाही और अन्य बाहरी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति, युद्ध-कौशल और रणनीतिक बुद्धिमत्ता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्रारंभिक जीवन
जन्म: 19 फरवरी 1630
स्थान: शिवनेरी किला, पुणे, महाराष्ट्र
पिता: शाहजी भोंसले
माता: जीजाबाई
गुरु: समर्थ रामदास
शिवाजी महाराज का बचपन उनकी माता जीजाबाई की देखरेख में बीता, जिन्होंने उनमें स्वाभिमान, धर्म और न्याय की भावना विकसित की। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर सल्तनत के एक सेनापति थे।
स्वराज की स्थापना
शिवाजी ने युवावस्था में ही स्वतंत्र हिंदवी स्वराज की कल्पना की और मुगल तथा बीजापुर सल्तनत के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में मराठा शक्ति का विस्तार किया।
प्रमुख विजय अभियान:
- तोरणा किले पर विजय (1645): शिवाजी ने मात्र 15 वर्ष की उम्र में तोरणा किले पर कब्जा कर स्वतंत्र शासन की नींव रखी।
- पुरंदर किले पर कब्जा (1648): इस किले को जीतने के बाद उनकी शक्ति और बढ़ गई।
- प्रतापगढ़ युद्ध (1659): इस युद्ध में उन्होंने अफजल खान को पराजित किया।
- सूरत पर हमला (1664): मुगलों की आर्थिक शक्ति को कमजोर करने के लिए उन्होंने सूरत पर आक्रमण किया।
- मुगलों से संघर्ष: औरंगजेब के साथ हुए संघर्ष में शिवाजी को पुरंदर संधि (1665) करनी पड़ी, लेकिन वे जल्द ही स्वतंत्र हो गए।
- राज्याभिषेक (1674): शिवाजी का रायगढ़ में भव्य राज्याभिषेक हुआ और उन्हें ‘छत्रपति’ की उपाधि मिली।
प्रशासनिक सुधार और शासन व्यवस्था
- अष्टप्रधान मंडल: शिवाजी ने अपने शासन में आठ मंत्रियों की एक परिषद बनाई जो विभिन्न प्रशासनिक कार्यों को संभालती थी।
- सशक्त नौसेना: उन्होंने समुद्री आक्रमणों से बचने और व्यापार को बढ़ाने के लिए एक मजबूत नौसेना तैयार की।
- कानूनी सुधार: उन्होंने समान न्याय व्यवस्था लागू की और किसानों के हितों की रक्षा की।
- गुरिल्ला युद्ध नीति: मुगलों और अन्य शत्रुओं से लड़ने के लिए उन्होंने छापामार युद्ध नीति अपनाई।
मृत्यु
छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी मराठा साम्राज्य उनकी विरासत को आगे बढ़ाता रहा।
रोचक तथ्य (Facts)
- शिवाजी महाराज की तलवार का वजन लगभग 35 किलो था।
- उन्होंने 300 से अधिक किलों पर नियंत्रण किया था।
- वे किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं थे और मुस्लिम सैनिकों को भी अपनी सेना में शामिल किया था।
- उनका सबसे बड़ा सपना एक स्वतंत्र हिंदू साम्राज्य की स्थापना करना था।
- उन्होंने पहली भारतीय नौसेना का गठन किया था।
- अफजल खान को मारने के लिए उन्होंने ‘वाघ नख’ (बाघ के पंजे जैसे हथियार) का इस्तेमाल किया था।
निष्कर्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी प्रशासक और राष्ट्रनिर्माता भी थे। उनकी युद्धनीति, शासन व्यवस्था और स्वराज की संकल्पना आज भी प्रेरणादायक है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे और उनके आदर्शों से आज भी युवा पीढ़ी प्रेरणा लेती है।
जय भवानी! जय शिवाजी!
